
गुवाहाटी स्थित IIT के वैज्ञानिकों ने मिल्क प्रोटीन और थाइमिन से बने कार्बन डॉट्स का इस्तेमाल कर ऐसा नैनोसेंसर तैयार किया है, जो पानी में 10 सेकंड से भी कम समय में पारा और खतरनाक एंटीबायोटिक प्रदूषकों की पहचान कर सकता है।
यह तकनीक बेहद संवेदनशील है और कुछ ही नैनोमोलर स्तर पर ख़राब पदार्थों का पता लगा सकती है। शोध को Microchimica Acta में प्रकाशित किया गया है।